Secondary School Certificate Examination (IX-X) Hindi A 2018-19

CBSE Curriculum for Secondary School Certificate Examination (IX-X) Hindi A 2018-19

ह दिं
ी मातभृ
ाषा (कोड 002)
कक्षा 9व िं–10व िं (2018-19)
नव ीं कक्षा में दाखिल होने वाले ववद्यार्थी की भाषा शलै
ी और ववचार बोध का ऐसा आधार बन चकु
ा होता
है कक उसे उसके दायरे के ववस्तार और वचै
ाररक समद्ृ
धध के ललए जरूरी ससीं
ाधन महु
ैया कराए जाएँ।
माध्यलमक स्तर तक आत-े आते ववद्यार्थी ककशोर हो चुका होता है और उसमें सनु
ने, बोलने, पढ़ने, ललिने
के  सार्थ-सार्थ आलोचनात्मक दृष्टि ववकलसत होने लगत  है। भाषा के  सौंदयाात्मक पक्ष,
कर्थात्मकता/ग तात्मकता, अिबारी समझ, शब्द की दसू
री शष्ततयों के ब च  अतीं
र, राजनतै तक  एवीं
सामाष्जक चेतना का ववकास, स्वयीं की अष्स्मता का सदभा और आवश्यकता के  अनसु
ार उपयतु
त भाषा-
प्रयोग, शब्दों के सधु चततत इस्तमाल, भाषा की तनयमबद्ध प्रकृ तत आदद से ववद्यार्थी पररधचत हो जाता है।
इतना ही नहीीं वह ववलभन्न ववधाओीं और अलभव्यष्तत की अनेक शललयों से भ वाककफ होता है। अब
ववद्यार्थी की पढ़ाई आस-पडोस, राज्य-देश की स मा को लाींघते हुए वष्ै श्वक क्षक्षततज तक फै ल जात है। इन बच्चों की दतु नया में समाचार, िेल, कफल्म तर्था अन्य कलाओीं के सार्थ-सार्थ पत्र-पत्रत्रकाएँ और अलग- अलग तरह की ककताबें भ प्रवेश पा चुकी होत हैं।
इस स्तर पर मातभृ
ाषा दहदीं
ी का अध्ययन सादहष्त्यक, साींस्कृ ततक और व्यावहाररक भाषा के रूप में कु छ
इस तरह से हो कक उच्चतर माध्यलमक स्तर पर पहुँचत-े पहुँचते यह ववद्याधर्थया
ों की पहचान, आत्मववश्वास
और ववमशा की भाषा बन सके । प्रयास यह भ होगा कक ववद्यार्थी भाषा के ललखित प्रयोग के सार्थ-सार्थ
सहज और स्वाभाववक मौखिक अलभव्यष्तत में भ सक्षम हो सके ।
इस पाठ्यक्रम के अध्ययन से –
(क) ववद्यार्थी अगले स्तरों पर अपन रूधच और आवश्यकता के अनरूु तर्था दहदी में बोलने और ललिने में सक्षम हो सकें गे।
प दहदीं
ी की पढ़ाई कर सकें गे
(ि) अपन भाषा दक्षता के चलते उच्चतर माध्यलमक स्तर पर ववज्ञान, समाज ववज्ञान और अन्य
पाठ्यक्रमों के सार्थ सहज सबद्धता (अतसबं
धीं
) स्र्थावपत कर सकें गे।
(ग) दैतनक व्यवहार, आवेदन पत्र ललिने, अलग-अलग ककस्म के पत्र ललिने और प्रार्थलमकी दजा
कराने इत्यादद में सक्षम हो सकें गे।
(घ) उच्चतर माध्यलमक स्तर पर पहुँचकर ववलभन्न प्रयष्ु ततयों की भाषा के द्वारा उनमें वतमा ान
अतसबं
धीं
को समझ सकें गे।
(ड.) दहदी भाषा में दक्षता का इस्तमाल वे अन्य भाषा-सरचनाओीं की समझ ववकलसत करने के ललए
कर सकें गेI
कक्षा 9व िं व 10व िं में मातभृ
ाषा के रूप में ह दिं
ी-शिक्षण के उद्देश्य :
·   कक्षा आठव ीं तक अष्जता
ववकास।
भावषक कौशलों (सनु
ना, बोलना, पढ़ना और ललिना) का उत् रोत् र
·    सजृ
नात्मक सादहत्य के आलोचनात्मक आस्वाद की क्षमता का ववकासI
·     स्वतत्रीं
और मौखिक रूप से अपने ववचारों की अलभव्यष्तत का ववकासI
·  ज्ञान के ववलभन्न अनशु
का बोध कराना।
ासनों के ववमशा की भाषा के रूप में दहदीं
ी की ववलशटि प्रकृ तत एवीं क्षमता
·  सादहत्य की प्रभावकारी क्षमता का उपयोग करते हुए सभ प्रकार की ववववधताओीं (राटट्रीीयता, धम,ा
ललगीं
एवीं भाषा) के प्रतत सकारात्मक और सवेदनश ल रवयै
ेका ववकास।
·   जातत, धम,ा
ललग, राटट्रीीयता, क्षेत्र आदद से सबीं
धीं धत पवू
ााग्रहों के चलते बन रूदढ़यों की भावषक
अलभव्यष्ततयों के प्रतत सजगता।
·   ववदेश भाषाओँ समते
अन्य भारत य भाषाओीं की सस्ीं
कृ तत की ववववधता से पररचय।
·  व्यावहाररक और दैतनक ज वन में ववववध ककस्म की अलभव्यष्ततयों की मौखिक व ललखित क्षमता
का ववकासI
·    सचार माध्यमों (वप्रिीं
और इलेतट्रीॉतनक) में प्रयतु
त दहदीं
ी की प्रकृ तत से अवगत कराना और नए-नए
तरीके से प्रयोग करने की क्षमता से पररचय।
·   सघन ववश्लेषण, स्वतत्रीं
अलभव्यष्तत और तका क्षमता का ववकास।
·    अमतू ना
की पवू
ा अष्जता
क्षमताओीं का उत्तरोत्तर ववकास।
·    भाषा में मौजूद दहसीं
ा की सरचनाओीं की समझ का ववकास।
·   मतभेद, ववरोध और िकराव की पररष्स्र्थततयों में भ भाषा को सवीं
ेदनश ल और तका पणू
ा इस्तमे ाल
से शाींततपणू
ा सवीं
ाद की क्षमता का ववकास।
·   भाषा की समावेश और बहुभावषक प्रकृ तत के प्रतत ऐततहालसक नजररए का ववकास।
·   शारीररक और अन्य सभ प्रकार की चुनौततयों का सामना कर रहे बच्चों में भावषक क्षमताओीं के ववकास की उनकी अपन ववलशटि गतत और प्रततभा की पहचान।
शिक्षण यक्ु ततयााँ
माध्यलमक कक्षाओीं में अध्यापक की भलू मका उधचत वातावरण के  तनमाणा
में सहायक की होन चादहए।
भाषा और सादहत्य की पढ़ाई में इस बात पर ध्यान देने की जरूरत होग कक –
·   ववद्यार्थी द्वारा की जा रही गलततयों को भाषा के ववकास के अतनवाया चरण के रूप में स्व कार ककया जाना चादहए ष्जससे ववद्यार्थी अबाध रूप से त्रबना खझझक के ललखित और  मौखिक
अलभव्यष्तत करने में उत्साह का अनभु
व करें। ववद्याधर्थया
ों पर शद्ु
धध का ऐसा दबाव नहीीं होना
चादहए कक वे तनावग्रस्त माहौल में पड जाएँ। उन्हें भाषा के सहज, कारगर और रचनात्मक रूपों
से इस तरह पररधचत कराना उधचत है कक वे स्वयीं सहजरूप से भाषा का सजृ
न कर सकें ।
·   गलत से सही ददशा की ओर पहुँचने का प्रयास हो। ववद्यार्थी स्वतत्रीं
और अबाध रूप से ललखित
और मौखिक अलभव्यष्तत करे। अगर कहीीं भलू
होत है तो अध्यापक को अपन अध्यापन शलै
ी में
पररवतना
की आवश्यकता होग ।
·  ऐसे लशक्षण-त्रबदीं ओु
ीं की पहचान की जाए ष्जससे कक्षा में ववद्यार्थी तनरींतर सकक्रय भाग दारी करें
और अध्यापक भ इस प्रककया में उनका सार्थ बने।
·   हर भाषा का अपना एक तनयम और व्याकरण होता है। भाषा की इस प्रकृ तत की पहचान कराने में पररवेशगत और पाठगत सदभों का ही प्रयोग करना चादहए। यह परू ी प्रकक्रया ऐस होन चादहए कक ववद्यार्थी स्वयीं को शोधकताा समझे तर्था अध्यापक इसमें के वल तनदेशन करें।
·  दहदी में क्षेत्रत्रय प्रयोगों, अन्य भाषाओीं के प्रयोगों के उदाहरण से यह बात स्पटि की जा सकत है कक भाषा अलगाव में नहीीं बनत और उसका पररवेश अतनवाया रूप से बहुभावषक होता है।
·   लभन्न क्षमता वाले ववद्याधर्थया
ों के ललए उपयतु
त लशक्षण-सामग्र का इस्तमाल ककया जाए तर्था
ककस भ प्रकार से उन्हें अन्य ववद्याधर्थया
ों से कमतर या अलग न समझा जाए।
·   कक्षा में अध्यापक को हर प्रकार की ववलभन्नताओीं (ललग, जातत, वग,ा
धमा आदद) के  प्रतत
सकारात्मक और सवेदनश ल वातावरण तनलमता
करना चादहए।
·    परींपरा से चले आ रहे महु
ावरों, कहावतों (जैसे रान रूठें ग तो अपना सहु
ाग लेंग ) आदद के जररए
ववलभन्न प्रकार के पवू
ााग्रहों की समझ पदै
ा करना चादहए और उनके प्रयोग के प्रतत आलोचनात्मक
दृष्टि ववकलसत करना चादहए।
·    मध्यकालीन काव्य की भाषा के ममा से ववद्यार्थी का पररचय कराने के ललए जरूरी होगा कक
ककताबों में आए काव्याींशों की सग तबद्ध प्रस्ततु तयों के ऑडडयो-व डडयो कै सेि तयै
ार ककए जाएँ।
अगर आसान से कोई गायक/गातयका लमले तो कक्षा में मध्यकालीन सादहत्य के अध्यापन-लशक्षण
में उससे मदद ली जान चादहए।
·    वत्ृ
धचत्रों और फीचर कफल्मों को लशक्षण-सामग्र के तौर पर इस्तमाल करने की जरूरत है। इनके
प्रदशना
के क्रम में इन पर लगातार बातच त के जररए लसनेमा के माध्यम से भाषा के प्रयोग कक
ववलशटिता की पहचान कराई जा सकत है और दहदी की अलग-अलग छिा ददिाई जा सकत है।
·   कक्षा में लसफा एक पाठ्यपस्ु
तक की भौततक उपष्स्र्थतत से बेहतर होगा कक लशक्षक के हार्थ में
तरह-तरह की पाठ्यसामग्र को ववद्यार्थी देिें और कक्ष में अलग-अलग मौकों पर लशक्षक उनका
इस्तमाल करें।
·   भाषा लगातार ग्रहण करने की कक्रया में बनत है, इसे प्रदलशता
करने का एक तरीका यह भ है
कक लशक्षक िदु
यह लसिा सकें कक वे भ शब्दकोश, सादहत्यकोश, सदभग्रा
र्थीं
की लगातार मदद ले
रहे हैं। इससे ववद्याधर्थया
ों में इनके इस्तमाल करने को लेकर तत्परता बढ़ेग । अनमु
ान के आधार
पर तनकितम अर्था तक पहुँचकर सतीं
टु ि होने की जगह वे अधधकतम अर्था की िोज करने का अर्था
समझ जाएँगे। इससे शब्दों की अलग-अलग रींगत का पता चलेगा, वे शब्दों के बारीक अतर के
प्रतत और सजग हो पाएँगे।
व्याकरण ब दिं ु
कक्षा 9व िं
·     उपसग,ा
·    समास
प्रत्यय
·   अर्था की दृष्टि से वातय भेद
·    अलकार : शब्दालकार – अनप्रु
ास, यमक एवीं श्लेष; अर्थाालकार – उपमा, रूपक, उत्प्रेक्षा,
अततशयोष्तत एवीं मानव करण I
कक्षा 10व िं
·    रचना के आधार पर वातय भेद
·    वाच्
·    पद-पररचय
·    रस
श्रवण (सनु
ना) कौिल
श्रवण व वाचन (मौखिक ोलना) स िं
ध  योग्यताएाँ
·     वखणता
या पदठत सामग्र , वाताा, भाषण, पररचचाा, वाताालाप, वाद-वववाद, कववता-पाठ आदद का
सनु
कर अर्था ग्रहण करना, मल्ू
याकन करना और अलभव्यष्तत के ींग को जानना।
·   वततव् के भाव, ववनोद व उसमें तनदहत सदीं
ेश, व्यग्य आदद को समझना।
·    वचै
ाररक मतभेद होने पर भ वतता की बात को ध्यानपवू का
, धैयपा वू का
व लशटिाचारानकु
ूल प्रकार
से सनु
ना व वतता के दृष्टिकोण को समझना।
·     ज्ञानाजना
मनोरींजन व प्रेरणा ग्रहण करने हेतु सनु
ना।
·   वततव्य का आलोचनात्मक ववश्लेषण करना एवीं सनु
कर उसका सार ग्रहण करना।
श्रवण (सनु
ना) का परीक्षण : कु ल 2.5 अकिं
(ढाई अक)
·  परीक्षक ककस प्रासधीं गक ववषय पर एक अनच्ु
छे द का स्पटि वाचन करेगा। अनच्ु
छे द तथ्यात्मक या
सझु
या
ावात्मक हो सकता है। अनच्ु
छे द लगभग 150 शब्दों का होना चादहए।
परीक्षक 2-3 लमनि का श्रव्य अशीं
(ऑडडयो ष्तलप) सनु
वाएगा। अशीं
रोचक होना चादहए। कथ्य
/घिना पणू
ा एवीं स्पटि होन चादहए। वाचक का उच्चारण शद्ु
ध, स्पटि एवीं ववराम धचह् नों के
उधचत प्रयोग सदहत होना चादहए।
·  परीक्षक को सनु
कर सकें गे।
त-े सनु
ते परीक्षार्थी अलग कागज पर ददए हुए श्रवण बोधन के अभ्यासों को हल
·  अभ्यास ररतत स्र्थान पतू त,ा
हैं।
बहुववकल्प अर्थवा सत्य/असत्य का चुनाव आदद ववधाओीं में हो सकते
·  अतत लघत्ू तरात्मक 5 प्रश्न पछू
े जाएँगे।
वाचन ( ोलना) कौिल
·   बोलते समय भली प्रकार उच्चारण करना, गतत, लय, आरोह-अवरोह उधचत बलाघात व अनतु ान
सदहत बोलना, सस्वर कववता-वाचन, कर्था-कहान अर्थवा घिना सनु
·  आत्मववश्वास, सहजता व धाराप्रवाह बोलना, कायक्रम-प्रस्ततु त।
ाना।
·   भावों का सष्ममश्रण जैसे – हष,ा
ववषाद, ववस्मय, आदर आदद को प्रभावशाली रूप से व्यतत
करना, भावानकु
ूल सवीं
ाद-वाचन।
·   औपचाररक व अनौपचाररक भाषा में भेद कर सकने में कु शल होना व प्रततकक्रयाओीं को तनयत्रीं त्रत व
लशटि भाषा में प्रकि करना।
·  मौखिक अलभव्यष्तत को क्रमबद्ध, प्रकरण की एकता सदहत व यर्थासभव सक्षक्षप्त रिना।
·  स्वागत करना, पररचय देना, धन्यवाद देना, भाषण, वाद-वववाद, कृ तज्ञता ज्ञापन, सवीं
बधाई इत्यादद मौखिक कौशलों का उपयोग।
ेदना व
·     मचीं
भय से मतु
त होकर प्रभावशाली ींग से 5-10 लमनि तक भाषण देना।
वाचन ( ोलना) का परीक्षण : कु ल 2.5 अकिं
(ढाई अकिं  )
·   धचत्रों के क्रम पर आधाररत वणना
भाषा का प्रयोग करें।
ः इस भाग में अपेक्षा की जाएग कक परीक्षार्थी वववरणात्मक
·  ककस धचत्र का वणना
(धचत्र व्यष्तत या स्र्थान के हो सकते हैं)
·  ककस तनधााररत ववषय पर बोलना ष्जससे वह अपने व्यष्ततगत अनभु
व का प्रत्यास्मरण कर सके ।
·    पररचय देना।                                                             1 अकीं
(स् / पररवार/ वातावरण/ वस्त/ु
व्यष्तत/ पयाावरण/ कवव /लेिक आदद)
·    आधे-आधे अकीं
के कु ल त न प्रश्न पछू
ेजा सकते हैं।                        1.5 (डढ़े
अक)
कौिलों के अतिं
रण का मलू
यािंकन
श्रवण (सनु ना) वाचन( ोलना)
1 ववद्यार्थी में पररधचत सदभों में प्रयतु त शब्दों और 1 ववद्यार्थी के वल अलग-अलग शब्दों और पदों
पदों को समझने की सामान्य योग्यता है, ककीं तु के प्रयोग की योग्यता प्रदलशता करता है ककीं तु
ससु बीं द्ध आशय को नहीीं समझ पाता। एक ससु बीं द्ध स्तर पर नहीीं बोल सकता।
2 छोिे ससु बीं द् ध  कर्थनों  को  पररधचत सदभों में 2 पररधचत सदीं भों में  के वल  छोिे  ससु बीं द् ध
समझने की योग्यता है। कर्थनों का स लमत शद्ु धता से प्रयोग करता
है।
3 पररधचत या अपररधचत दोनों सदभों में कधर्थत 3 अपेक्षक्षत दीघा भाषण में अधधक जदिल
सचू ना   को   स् टि समझने की योग्यता है। कर्थनों के प्रयोग की योग्यता प्रदलशता करता
अशद्ु धधयाँ  करता  है  ष्जससे प्रेषण में रूकावि है अभ  भ  कु छ  अशद्ु धधयाँ  करता है।
आत है ष्जससे प्रेषण में रूकावि आत है।
4 दीघा कर्थनों की शिींृ ला को पयााप्त शद्ु धता से 4 अपररधचत ष्स्र्थततयों में ववचारों को ताकका क
समझता है और तनटकषा तनकाल सकता है।  ींग से सगदठत कर धारा प्रवाह रूप में
प्रस्ततु कर सकता है। ऐस गलततयाँ करता
है ष्जनसे प्रेषण में रूकावि नहीीं आत ।
5 जदिल कर्थनों के ववचार-त्रबदीं ओु ीं को समझने की 5 उद् देश्   और श्रोता के ललए उपयतु त शलै ी
योग्यता प्रदलशता करता है, उद् देश्  के  अनकु ू ल को अपना सकता है के वल मामलू ी गलततयाँ
सनु ने की कु शलता प्रदलशता करता है। करता है।
हिप्पण
·   परीक्षण से पवू
ा परीक्षार्थी को तयै
ारी के ललए कु छ समय ददया जाए।
·   वववरणात्मक भाषा में वतमा
ान काल का प्रयोग अपेक्षक्षत है।
·  तनधााररत ववषय परीक्षार्थी के अनभु
व ससीं
ार के हों, जसै
े- कोई चुिकु ला या हास्य-प्रसगीं
सनु
ाना,
हाल में पढ़ी पस्ु
तक या देिे गए लसनेमा की कहान सनु
ाना।
·  जब परीक्षार्थी बोलना प्रारींभ करें तो परीक्षक कम से कम हस्तक्षेप करें।
पठन कौिल
पठन क्षमता का मख्ु
य उद् देश्य ऐसे व्यष्ततयों का तनमााण करने में तनदहत है जो स्वतत्रीं
रूप से धचतीं न
कर सकें तर्था ष्जनमें न के वल अपने स्वयीं के ज्ञान का तनमााण करने की क्षमता हो अवपतु वे इसका
आत्मावलोकन भ कर सकें ।
·   सरसरी दृष्टि से पढ़कर पाठ का कें द्रीय ववचार ग्रहण करना।
·   एकाग्रधचत हो एक अभ टि गतत के सार्थ मौन पठन करना।
·   पदठत सामग्र पर अपन प्रततकक्रया प्रकि करना।
·    भाषा, ववचार एवीं शली की सराहना करना।
·   सादहत्य के प्रतत अलभरूधच का ववकास करना।
·     सदीं
भा के अनसु
ार शब्दों के अर्थ–ा भेदों की पहचान करना।
·   ककस ववलशटि उद्देश्य को ध्यान में रिते हुए तत्सबीं
धीं
  ववशषे
स्र्थल की पहचान करना।
·  पदठत सामग्र के ववलभन्न अशों का परस्पर सबीं
धीं
समझना I
·   पदठत अनच्ु
छे दों के श षका
एवीं उपश षका
देना।
·   कववता के प्रमिु
उपादान – तकु
, लय, यतत आदद से पररधचत कराना।
हिप्पण : पठन के ललए सामाष्जक, साींस्कृ ततक , प्राकृ ततक, कलात्मक, मनोवज्ञै
ातनक, वज्ञै
ातनक तर्था
िेल-कू द और मनोरींजन सबीं
धीं
  सादहत्य के सरल अशीं
चुने जाएँ।
शलिने की योग्यताएाँ
·   ललवप के मान्य रूप का ही व्यवहार करनाI
·  ववराम-धचह्नों का सही प्रयोग करनाI
·   लेिन के ललए सकक्रय (व्यवहारोपयोग ) शब्द भडीं
ार की वद्ृ
धध करना।
·  प्रभावपणू
ा भाषा तर्था लिे
न-शली का स्वाभाववक रूप से प्रयोग करना I
·    उपयतु
त अनच्ु
छे दों में बािँ
कर ललिना।
·     प्रार्थना
ा पत्र, तनमत्रीं
ण पत्र, बधाई पत्र, सवेदना पत्र, आदेश पत्र, एस.एम.एस आदद ललिना और
ववववध प्रपत्रों को भरना।
·  ववववध स्रोतों से आवश्यक सामग्र एकत्र कर अभ टि ववषय पर तनबधीं
ललिना।
·   देि हुई घिनाओीं का वणना
करना और उन पर अपन प्रततकक्रया प्रकि करना।
·    पढ़ी हुई कहान को सवीं
ाद में तर्था सवाद को कहान में पररवततता
करना।
·    समारोह और गोष्टठयों की सचू
ना और प्रततवेदन तयै
ार करना।
·    सार, सक्षीं
ेप करण एवीं भावार्था ललिना।
·    गद्य एवीं पद्य अवतरणों की व्याख्या ललिना।
·    स्वानभु तू
ववचारों और भावनाओीं को स्पटि सहज और प्रभावशाली ींग से अलभव्यतत करना।
·    क्रमबद्धता और प्रकरण की एकता बनाए रिना।
·    ललिने में मौललकता और सजना
ात्मकता लाना।
रचनात्मक अशभव्यक्तत
·   वाद-वववाद
ववषय का चुनाव ववषय–लशक्षक स्वयीं करें।
आधार त्रबदीं
ु– ताकका कता, भाषण कला, अपन बात अधधकारपवू का
कहनाI
·   कवव सममेलनI
पाठ्यपस्ु
तक में सकीं
ललत कववताओीं के आधार पर कववता पाठ
या
मौललक कववताओँ की रचना कर कवव सममेलन या अत्ीं याक्षरी
आधार ब दिं ु
Ø अलभव्यष्तत
Ø गतत, लय, आरोह-अवरोह सदहत कववता वाचन
Ø   मचीं
पर बोलने का अभ्यास/या मचीं
भय से मष्ु तत
कहान सनु
आधार ब दिं
ाना/ कहान ललिना या घिना का वणना
/लेिन
Ø सवाद – भावानकु
ूल एवीं पात्रानकु ू ल
Ø घिनाओीं का क्रलमक वववरण
Ø प्रस्ततु
 करण
Ø उच्चारण
·    पररचय देना और पररचय लेना – पाठ्य पस्ु
तक के पाठों से प्रेरणा लेते हुए आधतु नक तरीके से
ककस नए लमत्र से सवीं
ाद स्र्थावपत करते हुए अपना पररचय सरल शब्दों में देना तर्था उसके ववषय
में जानकारी प्राप्त करना।
·   अलभनय कला-पाठों के आधार पर ववद्यार्थी अपन अलभनय प्रततभा का प्रदशना
कर भाषा में
सवादों की अदायग का प्रभावशाली प्रयोग कर सकते हैं। नािक एक सामदू हक कक्रया है, अतः
नािक के लेिन, तनदेशन सवाद, अलभनय, भाषा व उद्देश्य इत्यादद को देिते हुए लशक्षक स्वयीं अकों का तनधाारण कर सकता है।
·    आशभु
ाषण – ववद्याधर्थया
ों की अनभु
व पररधध से सबीं
धीं धत ववषय।
·    सामदू हक चचाा – ववद्याधर्थया
ों की अनभु
व पररधध से सबीं
धीं धत ववषय।
प्रस्ततु
 करण
मलू
यािंकन के सकिं
ेत ब दिं ओु
िं का वववरण
· आत्मववश्वास
·    हाव-भाव
·  प्रभावश लता
·   ताकका कता
·    स्पटिता
ववषय वस्तु
·    ववषय की सही अवधारणा
·    तका सममत
भाषा
·    शब्द चयन व स्पटिता स्तर और अवसर के अनकु
उच्चारण
ूल।
·    स्पटि उच्चारण, सही अनतु
ान, आरोह-अवरोह पर अधधक बल।
ह दी पाठ्यक्रम – अ (कोड स.िं
– 002)
कक्षा 9व िं ह दी अ – सकिं
शलत परीक्षाओिं ेतु पाठ्यक्रम ववननदेिन 2018-19
परीक्षा भार ववभाजन
ववषयवस्तु उप भार कु ल भार
1 पठन कौशल गद्याींश व काव्याींश पर श षका  का चुनाव, ववषय-वस्तु का बोध, भावषक त्रबदीं ु /सरचना आदद पर अतत लघत्ू तरात्मक  एवीं लघत्ू तरात्मक प्रश्न 15
एक अपदठत गद्याींश (100 से 150 शब्दों के ) (1×2=2) (2×3=6) 8
एक अपदठत काव्याींश (100 से 150 शब्दों के ) (1×3=3) (2×2=4) 7
2 व्याकरण के ललए तनधााररत ववषयों पर ववषय-वस्तु का बोध,  भावषक त्रबदीं ु /सरचना आदद पर प्रश्न (1×15) 15
व्याकरण
1 शब्द तनमााण
उपसगा – 2 अक, प्रत्यय – 2 अक, समास – 3 अकीं
7
2 अर्था की दृष्टि से वातय भेद – 4 अकीं 4
3 अलकार – 4 अकीं
(शब्दालकीं ार अनप्रु ास, यमक, श्लेष) ( अर्थाालकीं ार उपमा, रूपक, उत्प्रेक्षा, अततशयोष्तत, मानव करण)
4
3 पाठ्यपस्ु तक क्षक्षततज भाग – 1 व परू क पाठ्यपस्ु तक कृ ततका भाग -1 30
गद्य िींड 13
1 क्षक्षततज से तनधााररत पाठों में से गद्याींश के आधार पर
ववषय-वस्तु का बोध, भावषक त्रबदीं ु /सरचना आदद पर प्रश्न
। (2+2+1)
5
2 क्षक्षततज से तनधााररत गद्य पाठों के  आधार पर
ववद्याधर्थया ों की उच्च धचतन व मनन क्षमताओीं  का आकलन करने हेतु प्रश्न ।(2×4)
8
काव्य िींड 13
1 काव्यबोध व काव्य पर स्वयीं की सोच की परि करने 5
हेतु क्षक्षततज से तनधााररत कववताओीं में से काव्याींश के आधार पर प्रश्न (2+2+1)
2 क्षक्षततज से तनधााररत कववताओीं के आधार पर ववद्याधर्थया ों
का काव्यबोध परिने हेतु प्रश्न । (2×4)
8
परू क पाठ्यपस्ु तक कृ ततका भाग – 1 4
परू क पष्ु स्तका कृ ततका के तनधााररत पाठों पर आधाररत एक प्रश्न पछू ा जाएगा (ववकल्प सदहत)। इस प्रश्न का कु ल भार चार अकीं होगा। (4×1) 4
4 लेिन 20
ववलभन्न ववषयों और सदभों पर ववद्याधर्थया ों के तका सगत ववचार
प्रकि करने की क्षमता को परिने के ललए सकीं े त त्रबदीं ओु ीं पर आधाररत समसामतयक एवीं व्यावहाररक ज वन से जुडे हुए ववषयों पर 200 से 250 शब्दों में ककस एक ववषय पर तनबधीं । (10×1)
10
अलभव्यष्तत की क्षमता पर कें दद्रत औपचाररक अर्थवा
अनौपचाररक ववषयों में से ककस एक ववषय पर पत्र। (5×1)
5
ककस एक ववषय पर सवाद लेिन। (5×1) 5
कु ल 80
नोि : तनमनललखित पाठों से प्रश्न नहीीं पछू
ेजाएींगIे
क्षक्षततज (भाग 1) · उपभोततावाद की सस्ीं कृ तत
· एक कु त्ता और एक मनै ा
· साखियाँ व सबद पाठ से सबद – 2 सतो भाई
आई..
· ग्राम श्र
कृ ततका (भाग 1) ·
·
इस जल प्रलय में
ककस तरह आखिरकार मैं
दहदी में आया
ह दी पाठ्यक्रम – अ (कोड स.िं
002)
कक्षा 10व िं ह दी – अ परीक्षा ेतु पाठ्यक्रम ववननदेिन 2018-19
परीक्षा भार ववभाजन
ववषयवस्तु उप भार कु ल भार
1 पठन कौशल गद्याींश व काव्याींश पर श षका  का चुनाव, ववषय-वस्तु का बोध, भावषक त्रबदीं ु /सरीं चना आदद पर अतत लघत्ू तरात्मक एवीं लघत्ू तरात्मक प्रश्न 15
एक अपदठत गद्याींश (100 से 150 शब्दों के ) (1×2=2) (2×3=6) 8
एक अपदठत काव्याींश (100 से 150 शब्दों के ) (1×3=3) (2×2=4) 7
2 व्याकरण के ललए तनधााररत ववषयों पर ववषय-वस्तु का बोध, भावषक त्रबदीं ु
/सरचना आदद पर प्रश् (1×15)
15
व्याकरण
1 रचना के आधार पर वातय भेद (3 अक) 3
2 वाच्य (4 अकीं ) 4
3 पद पररचय (4 अक) 4
4 रस (4 अक) 4
3 पाठ्यपस्ु तक क्षक्षततज भाग – 2 व परू क पाठ्यपस्ु तक कृ ततका भाग – 2 30
गद्य िींड 13
1 क्षक्षततज से तनधााररत पाठों में से गद्याींश के आधार पर ववषय-
वस्तु का बोध, भावषक त्रबदीं ु /सरचना आदद पर प्रश्न । (2+2+1)
5
2 क्षक्षततज से तनधााररत गद्य पाठों के आधार पर ववद्याधर्थया ों की
उच्च धचतीं न व मनन क्षमताओीं का आकलन करने हेतु प्रश्न। (2×4)
8
काव्य िींड 13
1 काव्यबोध व काव्य पर स्वयीं की सोच की परि करने हेतु क्षक्षततज से तनधााररत कववताओीं में से काव्याींश के आधार  पर प्रश्न (2+2+1) 5
2 क्षक्षततज से तनधााररत कववताओीं के आधार पर ववद्याधर्थया ों  का
काव्यबोध परिने हेतु प्रश्न । (2×4)
8
परू क पाठ्यपस्ु तक कृ ततका भाग – 2
परू क पष्ु स्तका कृ ततका के तनधााररत पाठों पर आधाररत एक प्रश्न पछू ा जाएगा (ववकल्प सदहत)। इस प्रश्न का कु ल भार चार अकीं   होगा। (4×1) 4
4 लेिन
ववलभन्न ववषयों और सदभो पर ववद्याधर्थया ों के तका सगत ववचार प्रकि
करने की क्षमता को परिने के ललए सकीं े त त्रबदीं ओु ीं पर  आधाररत समसामतयक एवीं व्यावहाररक ज वन से जुडे हुए ववषयों पर 200 से
10 20
250 शब्दों में ककस एक ववषय पर तनबध। (10×1)
अलभव्यष्तत की क्षमता पर के ष्न्द्रत औपचाररक अर्थवा अनौपचाररक
ववषयों में से ककस एक ववषय पर पत्र। (5×1)
5
ववषय से सबीं धीं धत 25-50 शब्दों के अतगता ववज्ञापन लेिन। (5×1) 5
कु ल 80
नोि : तनमनललखित पाठों से प्रश्न नहीीं पछू
ेजाएींगIे
क्षक्षततज (भाग 2) · देव
· जयशकर प्रसाद – आत्मकथ्य
· स्त्र लशक्षा के ववरोध कु तकों का िींडन
· सस्ीं कृ तत
कृ ततका (भाग 2) ·
·
एही ठै याँ झुलन हेरान हो रामा! मैं तयों ललिता हूँ?
प्रश्नपत्र का प्रश्नानसु
ार ववश्लेषण एविं प्रारूप
ननधाारितरत समयावधध : 3 घििं
ह दी पाठ्यक्रम – अ
कक्षा – 9व िं एविं 10व िं
ेअधधकतम अकिं
: 80
क्र प्रश्नों का दक्षता परीक्षण/ अधधगम अनत- लघूत्तरात्मक नन िंधात्मक नन िंधात्मक नन िंधात्मक कु ल
. प्रारूप परितरणाम लघूत्तरात्मक 2 अिंक -I -II -III योग
स.िं 1 अिंक 4 अिंक 5 अिंक 10 अिंक
अपदठत अवधारणात्मक बोध, अर्थग्रा हण, 05 05 15
बोध अनुमान  लगाना,  ववश्लेषण
करना, शब्दज्ञान व भावषक
कौशल
ि व्यावहारर व्याकरखणक सींरचनाओीं का बोध 15 15
और  प्रयोग,  ववश्लेषण  एवीं
व्याकरण भावषक कौशल
पाठ्य प्रत्यास्मरण,       अर्थग्रा हण 02 12 01 30
पस्ु तक (भावग्रहण) लेिक के मनोभावों
को   समझना,   शब्दों   का
प्रसींगानुकू ल  अर्था  समझना,
आलोचनात्मक       धचतन,
ताकका कता, सराहना, सादहष्त्यक
परींपराओीं  के  पररप्रेक्ष्य  में
मूल्याींकन,        ववश्लेषण,
सजृ नात्मकता,  कल्पनाश लता,
काय-ा कारण   सींबींध   स्र्थावपत
करना, सामयता एवीं अींतरों की
पहचान,   अलभव्यष्तत   में
मौललकता एवीं ज वन मूल्यों की
पहचान।
रचनात्म सींके त  त्रबदीं ओु ीं  का   ववस्तार, 02 01 20
क लेिन अपने मत की अलभव्यष्तत,
(लेिन सोदाहरण समझाना, औधचत्य
तनधाारण, भाषा में प्रवाहमयता,
कौशल) सिीक शैली, उधचत प्रारूप का
प्रयोग,    अलभव्यष्तत    की
मौललकता, सजृ नात्मकता एवीं
ताकका कता
कु ल 1×22
=22
2×17
=34
4×1
=4
5×2
=10
10×1
=10
80

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